औषधि प्रमाणनीकरण
औषधि प्रमाणन, जिसे होम्योपैथिक रोगजनक परीक्षण (एचपीटी) के रूप में भी जाना जाता है, एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें स्वस्थ मानव वालंटियरों पर दवा पदार्थों का परीक्षण किया जाता है और उनके रोगजनक प्रभावों का अवलोकन किया जाता है और इसे नोट किया जाता है और होम्योपैथिक मटेरिया मेडिका में औषधि को शामिल करने हेतु पहले कदम के रूप में संकलित किया जाता है। किसी दवा पदार्थ का प्रमाणन होम्योपैथी में एक अनूठी प्रक्रिया है। पारंपरिक उपचार, जहाँ दवा रोगजनन के मूल्यांकन के लिए पशुओं पर प्रयोग की जाती है, इसके विपरीत नियंत्रण सहित दोनों लिंगों के 18-60 वर्ष के बीच स्वस्थ मानव वालंटियरों के समूह पर प्रमाणित किया जाता है। वर्ष 1978 में अपनी स्थापना के समय से ही केन्द्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद ने अपने प्राथमिक अनुसंधान क्षेत्रों में औषधि प्रमाणन अनुसंधान कार्यक्रम को मुख्य अनुसंधान के रूप में अपनाया है, जिसमें परिषद ने स्वदेशी दवाओं के साथ-साथ अपूर्ण प्रमाणित औषधियों को प्रमाणित करने पर ध्यान केंद्रित किया है।
सीसीआरएच के 8 केंद्रों में निम्नलिखित कोडित दवाओं के डबल-ब्लाईंड, यादृच्छिक और बहु-केंद्रित परीक्षण किए जा रहे हैं :
1. डॉ डी पी रास्तोगी सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एच), नोएडा (उत्तर प्रदेश)
2. केंद्रीय अनुसंधान संस्थान (एच), कोट्टायम (केरल)
3. क्षेत्रीय अनुसंधान संस्थान (एच), कोलकाता (पश्चिम बंगाल)
4. होम्योपैथिक ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
5. क्षेत्रीय अनुसंधान संस्थान (एच), नवी मुंबई (महाराष्ट्र)
6. क्षेत्रीय अनुसंधान संस्थान (एच), गुडिवाडा (आंध्र प्रदेश)
7. ड्रग प्रोविंग यूनिट, भुवनेश्वर [क्षेत्रीय अनुसंधान संस्थान (एच), पुरी, ओडिशा का विस्तार इकाई]
8. क्षेत्रीय अनुसंधान संस्थान (एच), जयपुर (राजस्थान)
ड्रग प्रोविंग प्रोटोकॉल
i) जेनेरिक ड्रग प्रोटोकॉल: डाउनलोड करें
ii) ड्रग्स को फिर से साबित करने के लिए ड्रग प्रसंस्करण: डाउनलोड करें
चल रहे अध्ययन : यहां क्लिक करे
पूर्ण कर लिए गये अध्ययन : यहां क्लिक करे