केन्द्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद (सीसीआरएच), आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन एक शीर्ष अनुसंधान संगठन है, जो होम्योपैथी में समन्वय, विकास, प्रसार एवं वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देती है। इसे औपचारिक रूप से 30 मार्च, 1978 को आयुष विभाग, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन एक स्वायत्त संगठन के रूप में गठित किया गया था और बाद में 1860 के सोसायटीज़ पंजीकरण अधिनियम XXI के तहत पंजीकृत किया गया, उसके बाद जनवरी, 1979 से इस परिषद् ने एक स्वतंत्र संगठन के रूप में कार्य करना शुरू कर दिया था।
परिषद का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित हैं और पूरे भारत में परिषद् के 22 संस्थान /इकाइयों के नेटवर्क के माध्यम से बहु-केंद्रित अनुसंधान कार्य किये जाते हैं। यह परिषद्, अनुसंधान कार्यक्रम/ परियोजनाएं बनाती और चलती है, होम्योपैथी के मौलिक और अनुप्रयुक्त पहलुओं में साक्ष्य आधारित अनुसंधान करने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय उत्कृष्ट संस्थानों के साथ सहयोग करती है, प्राकार बाह्य अनुसंधानों को मॉनिटर करती है और मोनोग्राफ, पत्रिकाओं, न्यूज़लेटरों, सूचना शिक्षा एवं संचार सामग्री (आईईसी) सामग्रियों, संगोष्टियों/ कार्यशालाओं के जरिये अनुसंधान निष्कर्षों का प्रसार करती है। अध्ययन, आधुनिक वैज्ञानिक मापदंडों का अनुपालन करते हैं और अनुसंधान इस लक्ष्य के साथ आरम्भ किया जाता है कि अनुसंधान का परिणाम, प्रैक्टिस में रूपांतरित हो और इसका लाभ व्यवसाय और जनता को मिले।
परिषद के क्रियाकलापों के लिए, नीतियाँ दिशा-निर्देशों और समग्र, मार्गदर्शन, शासी निकाय द्वारा नियंत्रित किये जाते है। माननीय आयुष मंत्री, भारत सरकार, शासी निकाय की अध्यक्षता करते हैं और परिषद के कार्यों पर सामान्य नियंत्रण रखते हैं।
परिषद के व्यापक अनुसंधान क्रियाकलापों में ‘औषधीय पादपों का सर्वेक्षण, संग्रहण और खेती', ‘औषध मानकीकरण', ‘औषध प्रमाणन’, ‘नैदानिक सत्यापन' और ‘नैदानिक अनुसंधान’ शामिल है। इनके अलावा परिषद्, मौलिक एवं मूलभूत अनुसंधान, राष्ट्रीय महत्व के जन स्वास्थ्य कार्यक्रमों, स्वास्थ्य मेला आदि से भी सम्बद्ध है। परिषद के इन कार्यक्रमों की एक झलक नीचे दी गयी है :
औषधीय पादपों का सर्वेक्षण, संग्रहण और कृषि
प्रामाणिक औषधीय पौधे की सामग्री की उपलब्धता औषध मानकीकरण अध्ययन का एक महत्वपूर्ण आधार है, जो किसी औषध प्रणाली के विकास के लिए योगदान देता है। होम्योपैथिक औषधियां लगभग 80% वनस्पति स्रोतों से प्राप्त होती है। सीसीआरएच ने इस पहलू को महत्व दिया है और एक ‘औषधीय पादप अनुसंधान उद्यान’ और ‘औषधीय पादप सर्वेक्षण, संग्रहण और खेती’ की स्थापना की है। जो पूरे भारत के क्षेत्रों से सर्वेक्षण किये गये औषध पादप सम्बन्धी कच्चा माल एकत्र करता है। यह अनुसंधान इकाई “होम्योपैथी में औषधीय पादप अनुसंधान केन्द्र” इंदिरा नगर, एमराल्ड पोस्ट, जिला-नीलगिरि (तमिलनाडु) में स्थित है। इस केन्द्र ने 170 सर्वेक्षण किए और अगस्त 2016 तक मानकीकरण अध्ययन करने के लिए इकाइयों को 465 अपरिवकृत औषधियों की आपूर्ति की।
अधिक पढ़ें..
औषध मानकीकरण
औषध मानकीकरण में, औषधियों को विभिन्न गुणात्मक और मात्रात्मक विशेषताओं का अध्ययन करने की दृष्टि से उनकी भेषजज्ञानीय, भौतिक-रासायनिक और औषधीय-कोश रूपरेखा के सम्बन्ध में होम्योपैथिक दवाओं का एक व्यापक मूल्यांकन शामिल होता है। इस परिषद ने 297 औषधियों पर भेषजज्ञानीय अध्ययन, 304 औषधियों पर भौतिक रासायनिक अध्ययन और 149 औषधियों पर औषध-कोशीय अध्ययन किये हैं। भारत के होम्योपैथिक औषध-कोष में मोनोग्राफों के रूप में विनिर्धारित मानकों को शामिल किया गया है।
अधिक पढ़ें..
औषध प्रमाणन
औषध प्रमाणन, जो होम्योपैथिक रोग मूलक परीक्षण (एचपीटी) के रूप में भी जाना जाता है, में एक ऐसी प्रक्रिया शामिल है, जिसमें औषधि के तत्वों का परीक्षण स्वस्थ मनुष्य पर किया जाता है और चिकित्सीय उद्देश्यों के लिए उनके रोगमूलक प्रभावों का अवलोकन किया जाता है और उन्हें नोट किया जाता है। आरम्भ से ही, परिषद का प्राथमिक अनुसंधान क्षेत्र होने के कारण इसके सात केन्द्रों में औषध प्रमाणन परीक्षण किए गये हैं और अब तक लगभग 105 औषधियां प्रमाणित कर दी गयी है, जिसमें से 15 औषधियों को पहली बार प्रमाणित किया गया और बाकी औषधियां पुनः प्रमाणित की गयी।
अधिक पढ़ें..
नैदानिक सत्यापन
परिषद के अन्य आदेशपत्र का उद्देश्य है – औषध प्रमाणन से प्रकाश में लायी गयी औषधियों के रोगमूलक संलक्षणों का नैदानिक रूप से सत्यापन करना और नैदानिक संलक्षणों का पता लगाना। ताकि इन औषधियों की चिकित्सीय उपयोगिता निर्धारित की जा सके। इस परिषद् ने 106 औषधियों पर अध्ययन किए हैं, जिनमें परिषद द्वारा प्रमाणित और आंशिक प्रमाणन वाली औषधियां शामिल हैं।
अधिक पढ़ें..
नैदानिक अनुसंधान
होम्योपैथी में किये जाने वाला नैदानिक अनुसंधान, होम्योपैथी चिकित्सा, प्रक्रियाओं और उपचार व्यवस्थाओं के वैज्ञानिक साक्ष्य (सुरक्षा, प्रभावोत्यादकता और प्रभावीपन के हिसाब से) उत्पन्न करने, वैद्यीकृत करने और समेकित करने में मदद मिलती है। इसका प्रयोग, विभिन्न रोगों के रोकथाम, उपचार, पणधारियों के लिए निर्णय लेने और इस प्रकार नैदानिक देखभाल में सुधार करने में किया जा सकता है। आज की तारीख तक परिषद ने, विभिन्न बीमारियों पर 136 अध्ययन किये हैं, जिनमें से 121 अध्ययनों का निष्कर्ष निकाला गया (106 अवलोक्नात्मक और 15 यादृच्छिकीकृत नैदानिक परीक्षण थे) और 15 अध्ययनों को वापस ले लिया गया।
अधिक पढ़ें..
प्रलेखीकरण और प्रकाशन
विविध अनुसंधान क्षेत्रों में किए गए अध्ययनों का दस्तावेजीकरण, प्रकाशनों के रूप में किये जाने की आवश्यकता है। प्रलेखन और और प्रकाशन अनुभाग, इसमें अपनी भूमिका निभाते हैं, जिसमें परिषद् के विभिन्न क्रियाकलापों को अपने नियमित प्रकाशनों : सीसीआरएच न्यूज़लेटर और ओपन एक्सेस जर्नल- भारतीय होम्योपैथी अनुसंधान पत्रिका (आईजेआरएच), पुस्तकों एवं मोनोग्राफों, आईईसी सामग्री जैसे हैंडआउट्स आदि के माध्यम से दृष्टांत देकर समझाया जाता है।
अधिक पढ़ें..
मौलिक और सहयोगात्मक अनुसंधान
यह परिषद, वैज्ञानिक मापदंडों के आधार पर होम्योपैथी की प्रभावकारिता / अवधारणाओं को वैद्यीकृत करने के लिए, साक्ष्य आधारित, अंतर-विधा, रूपांतरण अनुसंधान अध्ययन करने हेतु, बोस संस्थान (कोलकाता) और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (नई दिल्ली) आदि जैसे अन्य उत्कृष्ट संस्थानों के साथ सहयोग करती है। आज की तारीख तक लगभग 33 अध्ययन सम्पन्न कर लिए गये हैं और 15 अध्ययन चल रहे हैं।
अधिक पढ़ें..
जन-स्वास्थ्य सम्बन्धी पहलें
जन-स्वास्थ्य कार्यक्रमों में एकीकरण
भारत सरकार ने निर्णय लिया कि आयुष प्रणालियों की अंत:निहित क्षमताओं पर उचित जोर देते हुए जन स्वास्थ्य में उनका प्रसार करने और उन्हें बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय अभियानों का शुभारम्भ किया जाये। मां और बच्चे की देखभाल में होम्योपैथी की भूमिका के लिए इसे चुना गया। वर्ष 2007 मेंआरम्भ किये गये ‘मां और बच्चे की देखभाल के लिए होम्योपैथी’ नामक राष्ट्रीय अभियान को बहुत बड़ी सफलता मिली, जिससे लगभग 9,12,478 मरीजों को लाभ मिला। इस परिषद ने अभियान का प्रचालन और समन्वय किया, जो 2012 तक चलाया गया। सीसीआरएच की इकाइयों/ संस्थानों और होम्योपैथिक मेडिकल कालेजों के माध्यम से सामुदायिक जागरूकता शिविर आयोजित करके जमीनी स्तर पर होम्योपैथिक उपचार उपलब्ध करवाया गया।
अधिक पढ़ें..
वर्तमान में, परिषद, हृद्यीय-संवहनी रोगों, कैंसर और आघात (एनपीसीडीसीएस),की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम के साथ एकीकरण कर रही है और ‘स्वस्थ बच्चों के लिए होम्योपैथी’ विषय पर एक जन-स्वास्थ्य कार्यक्रम ‘’राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएस) तैयार किया है, जिसे प्रयोगिक आधार पर आयोजित किया जा रहा है।
अधिक पढ़ें..
विशेषज्ञता क्लीनिक
यह परिषद, कुछ विशेषज्ञता क्लिनिक के माध्यम से अपने रोगियों को गुणवत्ता स्वास्थ्य सुरक्षा उपलब्ध करने के लिए प्रतिबद्ध है। वर्तमान में विशेषज्ञता वाले चार क्लीनिक नामत: ईएनटी क्लिनिक; संधिवातीय क्लिनिक; त्वचारोग क्लिनिक और जीवन शैली विकृति क्लिनिक, विभिन्न संस्थानों/ इकाइयों में चल रहे हैं, जो केवल संबंधित रोगों के मरीजों को व्यक्तिगत उपचार उपलब्ध कराते हैं।
परिषद के अन्य महत्वपूर्ण क्रियाकलाप
प्राकार बाह्य अनुसंधान
आयुष मंत्रालय, होम्योपैथी में अनुसंधान करने के लिए देश में वैज्ञानिकों को सहायता देता है। यह योजना, उपचार की प्रभावोत्पादकता, होम्योपैथिक सिद्धांतों की बेहतर समझ-बूझ और विभिन्न जन स्वास्थ्य सरोकारों के प्रत्युत्तर का पता लगाने हेतु उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में अनुसंधान को प्रोत्साहित करती है। प्राकार-बाह्य योजना के अंतर्गत, होम्योपैथी में वैज्ञानिक अनुसंधान करने हेतु संस्थान/ संगठन को सहायता अनुदान उपलब्ध कराया जाता है, जहाँ परिषद् इस योजना के कार्यान्वयन में एक समर्थकारी भूमिका निभाती है। आज की तारीख तक, इस योजना के अंतर्गत 36 अध्ययन पूरे कर लिए गये हैं और 08 अध्ययन अभी चल रहे हैं।
अधिक पढ़ें..
अनुसंधान को शिक्षा के साथ संबद्ध करना
छात्रों में अनुसंधान की प्रवृत्ति उत्पन्न करने के लिए, परिषद शिक्षाविदों के साथ समन्वय में कार्य कर रहा है और उनके स्नातक-पूर्व या स्नातकोत्तर/ पीएचडी कार्यक्रम के एक भाग के रूप में अनुसंधान करने के लिए छात्रों को वित्तीय अनुदान की एक योजना आरम्भ की है।
अधिक पढ़ें..
आईईसी (स्वास्थ्य मेला / संगोष्ठी / सम्मेलन)
यह परिषद्, स्वास्थ्य सम्बन्धी विभिन्न विषयों के बारे में आम जनता को संवेदनशील बनाने और होम्योपैथी में अनुसंधान के क्षेत्र में अपने क्रियाकलाप और उपलब्धियां प्रदर्शित करने के उद्देश्य से, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित स्वास्थ्य / आरोग्य मेलों और प्रदर्शनियों में भाग लेती है।
अधिक पढ़ें..
अनुसंधानकर्ताओं के क्षमता निर्माण हेतु एवं होम्योपैथिक अनुसंधान, अनुसंधान पद्धतियों, वैज्ञानिक लेखन के क्षेत्र में हुई हाल ही की उपलब्धियों के बारे में व्यवसायविदों को बताने के लिए, परिषद् सतत चिकित्सा शिक्षण (सीएमई) आयोजित करती है और होम्योपैथी के क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों को प्रदर्शित करने के लिए विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार में सक्रिय रूप से भाग लेती है।
अधिक पढ़ें..