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लगभग 70% होम्योपैथिक औषधियों को औषधीय पौधों के स्रोतों से बनाई जाती है और औषधियों की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए, स्रोत सामग्री या तो वन्य क्षेत्रों से एकत्र की जाती है और या विशेषज्ञ पर्यवेक्षण के साथ उद्यानों में इसकी खेती की जाती है। प्रामाणिक पादप स्रोत सामग्री को ताजा और जीवन्त स्तिथि में बनाए रखने के लिए, परिषद ने औषधीय पादप अनुसंधान उद्यान और औषधीय पादप सर्वेक्षण एवं खेती इकाई की स्थापना की, जो पूरे भारत से सर्वेक्षण किये गये क्षेत्रों से अपरिष्कृत औषध पादप सामग्री एकत्र करते हैं। औषधीय पौधों पर यहाँ किये जा रहे अनुसंधान कार्य के बहुविध पहलुओं को ध्यान में रखकर तमिलनाडु में स्थित इंदिरा नगर, पोस्ट-एमराल्ड, जिला-नीलगिरि की इस अनुसन्धान इकाई को अब “औषधीय पादप होम्योपैथी अनुसंधान केन्द्र” का नाम दिया गया है। यह अनुसन्धान केन्द्र होम्योपैथी में इस्तेमाल किये जाने वाले औषधीय पौधों पर प्राकृतिक अवस्था में संग्रहण के लिए सर्वेक्षण करने के अलावा आपूर्ति के लिए और जब कभी आवश्यक हो, आंतरिक अनुसंधान और ‘लाभ निरपेक्ष’ आधार पर अधिशेष अपरिष्कृत औषध पादप सामग्री होम्योपैथिक विनिर्माताओं, दोनों के लिए औषधि तैयार करने या औषध मानकीकरण हेतु विदेशी और स्वदेशी पादप सामग्री दोनों की खेती करता है। वर्तमान में, 75 पौधों (61 विदेशी और 14 देशी) की प्रजातियों की खेती की जा रही हैं, जो प्रायोगिक खेती के तहत अगली पीढ़ी के रूप में जारी रखने हेतु बीज उत्पादन और इसे आगे बढ़ाने के लिए प्रदर्शन प्लॉट्स पर और संरक्षण सह जर्मप्लाज्म संग्रहण से नीचे है और होम्योपैथी में उपयोगी सन्दर्भ नमूनों के रूप में रखी जा रही है। इसके अलावा, औषध मानकीकरण अनुसंधान अध्ययन करने के लिए भविष्य में यहाँ प्रयोगशाला की स्थापना किए जाने की आशा की जाती है, जिसमें औषधीय पौधों के क्षेत्र में अनुसंधान के सभी पहलुओं को एक छत के नीचे लाया जायेगा इस केंद्र ने आज की तारीख तक, 202 सर्वेक्षण किये हैं और मानकीकरण अध्ययन करने के लिए इकाइयों को कुल 542 अपरिष्कृत औषधियों की आपूर्ति की गयी है और कुल 9384 हरबेरियम शीटें तैयार की गयी है उनके वाउचर नमूना संख्या के साथ तैयार किया गया है।   

अगस्त 2017 के महीने में, औषधि मानकीकरण के विशेष समिति सदस्यों के दौरे के दौरान, महानिदेशक, सीसीआरएच द्वारा पॉली कार्बोनेट शीट से निर्मित एक कठोर पॉली हाउस का उद्घाटन किया गया, इस पॉली हाउस का उपयोग और इस्तेमाल मुख्य रूप से, खेती के लिए अंकुरण विकास, वनस्पति प्रचार (वीपी-क्लोन) और आंतरिक उपयोग के लिए पूरे बृहत् क्षेत्र के विकास हेतु बड़े पैमाने पर प्लांटलेट का उत्पादन करने, औषधि मानकीकरण केन्द्रों को अपरिष्कृत औषधियों की आपूर्ति के लिए एवं वाणिज्यिक प्रयोजनों के लिए किया जाता है। यह पॉली हाउस बहुत ही अनोखा है और नीलगिरी में पहली बार पाली कार्बोनेट शीट का उपयोग करके इसे बनाया गया है। 

पौधों के बारे में जानकारी को, परिषद द्वारा पुस्तकों के रूप में प्रकाशित की गयी है :

1.   भारत के होम्योपैथिक औषधीय पौधों की जांच-सूची

2.  होम्योपैथी में इस्तेमाल किये जाने वाले औषधीय पौधों की हस्त पुस्तिका खंड-1

3.  तमिलनाडु, भारत में नीलगिरि जनजातियों के नृजाति चिकित्साविज्ञान में पौधे

 

 



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फैक्स :  91-11-28521060, 28521162
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अंतिम अद्यतन तिथि: 27/08/2024
सामग्री होम्योपैथी अनुसंधान परिषद द्वारा प्रदान की गई! एनआईसी द्वारा होस्ट की गई!