होम्योपैथी में नैदानिक अनुसंधान से होम्योपैथिक दवाओं, प्रक्रियाओं और उपचार व्यवस्थाओं को बनाने, वैद्यीकृत करने और वैज्ञानिक साक्ष्यों को (सुरक्षा, प्रभावकारिता और प्रभावीपन की दृष्टि से) मजबूत करने में मदद मिलती है। परिषद की प्रमुख गतिविधियों में से एक होने के नाते, नैदानिक अनुसंधान ने संभावित मानक अध्ययनों से स्वर्ण मानक यादृच्छिक नियंत्रित अध्ययनों के लिए एक रास्ता खोल दिया है। आज की तारीख तक, परिषद ने विभिन्न रोगों पर कुल 161 अध्ययन (जिसमें से 131 विश्लेषणात्मक अध्ययन और 30 यादृच्छिक) नैदानिक परीक्षण किए है। नैदानिक अध्ययनों की प्रमुख उपलब्धियां; एचआईवी/ एड्स, बच्चों में तीव्र नासिकाएं, गैस्ट्रोएन्टेरिटिसिस, क्रोनिक सानाइसइटिस, इन्फ्लुएंजा जैसी बीमारी, पुरस्थ ग्रंथि में अतिवृद्धि, तीव्र रक्तस्रावी, ग्रीवा स्पोंडिलोसिस दर्द प्रबंधन, यूरुलिथीसिस आदि जैसे रोगों में है।
परिषद द्वारा संपन्न किए गए अनुसंधान अध्ययनों की एक झलक नीचे दी गई है। इन अध्ययनों के परिणामों को सीसीआरएच तिमाही बुलेटिन, क्लिनिकल रिसर्च स्टडीज- सीरीज I, II और III और इन्डियन जर्नल ऑफ़ रिसर्च इन होम्योपैथी में या होम्योपैथी जैसी अन्य राष्ट्रीय / अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं और एशियन जर्नल ऑफ़ होम्योपैथी इत्यादि पत्रिकाओं में प्रकाशित किया गया है।
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